दुनिया भर में कई ईसाई लोग क्रूस लेकर, ‘गुड फ्राइडे’ के दिन कलीसियाओं की सेवाओं में भाग लेते हैं। उन्हें ऐसा करने दे। लेकिन आइए, हम परमेश्वर के वचन में देखें जो स्पष्ट रूप से बताता है कि हमें क्या करना चाहिए। (मत्ती 10:7-39)
पहली बात हम इस वचन में देखते हैं कि हमें अपने माता-पिता से, यीशु से अधिक प्रेम नहीं करना चाहिए। इसका यह मतलब नहीं कि हम प्यार, सम्मान और उनकी देखभाल ना करें। लेकिन यीशु के लिए हमारा प्यार हमारे माता-पिता के प्रेम से अधिक होना चाहिए।
दूसरी बात, हमें अपने बच्चों से भी यीशु से अधिक प्रेम नहीं करना चाहिए। दुख की बात है कि आज की दुनिया में जहां परिवारों में एक या दो बच्चे हैं, वहां बच्चे अपने माता-पिता के प्यार और आराधना का केंद्र बन जाते हैं।
आगे पद 38 में यीशु क्रूस उठाने और उसके पीछे चलने के लिए कहता है। यह कौन सा क्रूस है? क्या यह यीशु का क्रूस नहीं? इस दुनिया में हम सभी के पास कोई ना कोई क्रूस है । लेकिन क्रूस कभी भी आपका साथी नहीं है। पद 39 हमें बताता है कि जो अपने प्राण बचाता है उसे खोएगा और जो यीशु के पीछे अपना प्राण खोता है वह उसे पाएगा। हम सभी अपने लिए पहचान बनाने का प्रयास करते हैं । हम इसे खोने के बारे में कभी भी नहीं सोच सकते। लेकिन यीशु कहता है कि अगर हम जीवन खोजना चाहते हैं तो हमें उसके लिए सब कुछ छोड़ने को तैयार रहना चाहिए। इसका मतलब यह है कि जब हम मसीह के पास आएंगे तो हम सब कुछ खो देंगे। क्या तुमने कुछ खोया है ? या तुम्हें कुछ भी छोड़ना पड़ा है? क्योंकि तुम उसके पास आए हो।
यही सिद्धांत हम लूका 14:16, 17 में भी पाते हैं। जब हम इंजील का अध्ययन करते हैं तो चारों सुसमाचारों की तुलना कर अध्ययन करना एक अच्छी आदत है। इससे हमको अध्ययन की पूर्ण समझ मिलती है। पद 26 में लूका कहता है कि यदि कोई मेरे पास आए और अपने माता, पिता और पत्नी और बच्चों और भाइयों और बहनों वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय ना जाने(नफरत करे) तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता। यहां शब्द “नफरत” प्रयोग किया गया है, लेकिन इसका अर्थ है “कम प्यार“। सच्चाई यह है, कि हम ‘अपने आप से’ किसी भी चीज से ज्यादा प्यार करते हैं। बाइबल बताती है कि विशेष रुप से, अंत दिनों में, लोग अपने आप से ज्यादा प्रेम करेंगे। मत्ती, पतरस और सभी चेलों को यीशु का अनुसरण करने के लिए बहुत सी चीजों को छोड़ना पड़ा। लेकिन यहां यीशु कहता है कि हमें ना केवल कई चीजों को छोड़ना चाहिए परंतु क्रूस उठाने में भी यीशु का अनुसरण करना चाहिए।
यहां हमें दो काम करने की आवश्यकता है :
- यीशु का अनुसरण करना ।
- अपना सलीब (क्रूस) उठाकर यीशु के पीछे चलना।
मैं आपसे एक सवाल करता हूं आप में से कितने लोग दूसरों से चोट खा चुके हैं या संगी विश्वासी या मसीही लोगों द्वारा चोट खा चुके हैं? परमेश्वर का वचन हमें यह भी बताता है कि मनुष्य के शत्रु उसके अपने घर के लोग भी होंगे। हमारे दुश्मन हर जगह हैं। परमेश्वर ने हमारे जीवन में कुछ लोगों को न केवल प्यार करने, क्षमा करने और मदद करने के लिए दिया है, बल्कि हमें चोट पहुंचाने के लिए भी दिया है। वह चाहता है कि हम यीशु मसीह के सूली पर चढ़ने में भी भाग ले। उसके लिए हमें 2000 साल पीछे जाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन जो क्रूस हमारे पास है उसे ही उठाना है यीशु का क्रूस हमें याद दिलाता है कि वह क्रूस हमारे लिए था। यह भी सच है कि हमें यीशु के साथ सूली पर चढ़ाया गया था। परमेश्वर हमें आज जो संदेश दे रहा है, वह यह है कि तुम्हें अपने लिए मरना होगा और मुझे तुम्हारे अंदर और तुम्हारे द्वारा जीवित रहने देना होगा।
आइए हम यीशु मसीह की मृत्यु के बारे में सोचें कि वह मृत्यु कैसी थी? आइए हम उस अपमान, कष्ट और पीड़ा पर मनन करें जो यीशु ने सहा।
जब यीशु अपने चेलों के साथ फसह खा चुका, तब वह पतरस और जबदी के दोनों पुत्रों को अपने साथ ले गया और गतसमनी नामक स्थान में चला गया।
यीशु जानते थे कि हर कोई आगे क्या करने जा रहा है वहां यीशु ने प्रार्थना की “हे मेरे पिता यदि हो सके तो यह कटोरा मुझसे टल जाए। तो भी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परंतु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।” प्रियो, यह प्रार्थना हमारी भी होनी चाहिए। प्रार्थना करते समय हम यीशु को पीड़ा में लहू और पसीना बहाते देखते हैं। यहीं से यीशु की पीड़ा शुरू हुई। अगले ही पल लोगों का एक झुंड, यीशु को गिरफ्तार करने के लिए यहूदा के साथ आया। यहूदा आया और उसने यीशु को बहुत चूमा । उस समय यीशु ने उसे ‘हे मित्र’ कहा। क्या हम कभी धोखा देने वालों को मित्र कहेंगे? नहीं, कभी नहीं।
यहूदा द्वारा विश्वासघात के बाद उस रात यीशु को गिरफ्तार कर ले गया । यीशु को उसकी गिरफ्तारी के और उसके पूरे मुकदमे के दौरान, न्याय से और एक साधारण अपराधी के कई अधिकारों से वंचित कर दिया गया था। हम अक्सर अपने अधिकारों के लिए बहुत आवाज उठाते हैं। लेकिन, जब यहोवा की परीक्षा हुई तो उसने एक भी शब्द नहीं कहा। बाइबल बताती है पिलातुस उसकी चुप्पी पर चकित था। प्रिय, हमारी बात सुनने के बाद कई बार दूसरे पूछते हैं कि क्या मसीही लोग इस तरह बात कर सकते हैं ? हम अक्सर भूल जाते हैं कि हम मसीही है, और जोर से बात करते हैं, बहस करते हैं, झगड़ा करते हैं। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यीशु मसीह जिसके पास सभी अधिकार थे एक अच्छे उदाहरण के रूप में चुप रहा और आज्ञाकारी बना रहा।
यहूदा ने यीशु को धोखा दिया और अन्य चेले भाग गए। जब यीशु को गिरफ्तार कर ले जाया गया तो वह अकेला था। प्रिय, जब हमारे प्रियजन हमें अस्वीकार करते हैं और त्याग देते हैं तो हम शिकायत ना करें । इसके बजाय आइए हम बिना शिकायत के शब्द कहे और क्रूस पर यीशु को देखें। प्रभु ने पहले ही पत्तरस से कहा था “तू 3 बार मेरा इंकार करेगा।“ पतरस ने ना केवल यीशु का इनकार किया बल्कि अपने आप को शाप देना भी शुरू कर दिया और उस ने उन से शपथ खाकर कहा “मैं उस आदमी को नहीं जानता” पत्तरस और यीशु के अन्य चेलों ने यीशु को अस्वीकार कर दिया और त्याग दिया इससे भी यहोवा को बड़ी पीड़ा हुई।
अंत में यीशु को महायाजक के पास लाया जाता है। “क्या तुम परमेश्वर के पुत्र, यहूदियों के राजा हो?” यीशु ने उत्तर दिया “हां”। यह सुनकर उन्होंने उसे पीटा और मुट्ठीयों से मारा और उसके मुंह पर वार किए। वे यीशु को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने लगे। यीशु को कोड़े मारे गए और उनके कपड़े फाड़ दिए गए। वचन कहता है कि कोड़े मारने से उसका शरीर फट गया था और वचन हमें बताता है कि हम उन कोड़े खाने से चंगे हुए हैं । हम अपने प्रभु को सारी महिमा दे सकते हैं क्योंकि उसके घावों से हम चंगे हुए हैं। वचन कहता है कि परमेश्वर पिता ने यीशु को क्रूस पर मरने की अनुमति दी। परमेश्वर पिता ने हमारे लिए यह किया, यही कारण है कि शैतान और उसका समूह यीशु को कुचलने में सक्षम थे।
तब उन्होंने कांटो का मुकुट गूंथकर यीशु के सिर पर रखा । इतिहास बताता है कि जब कांटो का यह ताज सिर में डाला जाता था, तो कांटे खोपड़ी को छेद देते थे और आंतरिक अंग बाहर निकल आते थे। उसके बाद उन्हें स्वयं उस लकड़ी के लट्ठे को उठाना पड़ा, जिस पर उन्हें सूली पर चढ़ाया जाना था। लकड़ी का यह लट्ठा व्यक्ति कभी भी सूली पर चढ़ाए जाने के लिए नहीं ले जाता था। यहां भी यीशु को न्याय से वंचित किया गया था। इसलिए प्रिय हमें अपना क्रूस खुद उठाना चाहिए। उन्होंने नुकीली, लोहे की कीलों से यहोवा को सूली पर गाड़ दिया । तब क्रूस को जबरदस्ती एक गड्ढे में उतारा गया और यहोवा की सभी हड्डियां उखड़ गई। इन सभी बातों की भविष्यवाणी पुराने नियम की कई पुस्तकों में की गई थी, विशेषकर भजन संहिता 22 में। श्वास लेने में असमर्थ यीशु के क्रूस पर पड़े हुए अनुभव का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है। चिकित्सा विज्ञान कहता है कि इससे भयंकर प्यास लगेगी। यीशु ने पुकारा “प्यासा हूं”। मति 27:33 कहता है, उन्होंने उसे पीने के लिए पित्त मिलाया हुआ दाखरस उसे पीने को दिया। परंतु उसने चखकर पीना ना चाहा । यह ‘कड़वा दाखरस’ दर्द को कम करने के लिए बनाया गया एक कृत्रिम पेय है। यदि प्रभु यीशु उस दखरस को पी लेते तो शैतान यह कहकर उनका मजाक उड़ाता ‘यीशु ने उस कड़वे दाखमधु को पी लिया और दर्द को सहन के बिना क्रूस पर लेट गया।” यीशु ने दाखरस नहीं पिया और ना ही शैतान को उसका उपहास करने दिया।
अंत में, यूहन्ना 19:29-30 में हम पढ़ते हैं कि वहां सिरके से भरा हुआ एक बर्तन रखा था । उन्होंने सिरके में भिगोए हुए स्पंज को जूफे पर रखकर उसके मुंह से लगाया । इससे पहले मत्ती के सुसमाचार में कहा गया है कि उसने पित्त के साथ दाखरस नहीं पी थी क्योंकि यह एक भविष्यवाणी थी। इजराइलियों के मिश्र से निकलने की रात से पहले उन्होंने एक मेमने को बलि किया और उसके खून को जूफे की शाखा का उपयोग करके बीम और चौखट पर छिड़का था। यहां सिरका पाप का प्रतिनिधित्व करता है । यह संसार का पाप था जिसे यीशु ने पिया था । जब यीशु उस पाप की कड़वाहट पी रहे थे, तब पिता परमेश्वर ने एक क्षण के लिए अपना मुंह छुपा लिया ताकि वह यीशु को ना देख सकें। यीशु कल्पना भी नहीं कर सकता था कि पिता परमेश्वर एक क्षण के लिए उससे अपना मुंह फेर लेगा। गतसमनी की वाटिका में यीशु ने यही प्रार्थना की “हे परमेश्वर इस प्याले को मुझ हटा लें।” यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था, लेकिन यह स्वयं यीशु ही थे जिन्होंने क्रूस पर पिता को अपनी आत्मा दे दी थी। उसने सारी मानव जाति के पापों का दंड स्वयं अपने ऊपर ले लिया और उस ऋण को चुका दिया। इसलिए हम अपने प्रभु की स्तुति कर सकते हैं क्योंकि अब हम पिता की उपस्थिति में आ सकते हैं। हम परमेश्वर का धन्यवाद कर सकते हैं कि यीशु मसीह ने हमारे सभी पापों और अधर्मो को ले लिया और हमें धर्मी घोषित किया । क्रूस पर हमारे पाप मसीह पर रखे गए थे और उनकी धार्मिकता हम पर रखी गई थी। यह एक महान आदान-प्रदान है।
क्रूस पर, यीशु अभी भी सेवकाई कर रहे थे। उसने उस चोर को बचाया जो उसके साथ था और अपनी माता मरियम को चेले यूहन्ना को सौंप दिया। अंत में, अपने प्राण त्यागने से पहले यीशु ने एक और काम किया, और यह करना हमारे लिए सबसे कठिन है। यीशु ने कहा “हे पिता, उन्हें क्षमा कर क्योंकि वे नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।“ यीशु मसीह का सूली पर चढ़ना तब पूरा हुआ जब उन्होंने सभी को क्षमा कर दिया। इसी तरह अगर हम उन सभी को क्षमा कर दें, जिन्होंने हमें चोट पहुंचाई है तो हमारा क्रूस पूरा हो जाएगा।
यद्यपि कलाकारों ने पारंपरिक रूप से एक लंगोट के साथ सूली पर यीशु की आकृति का चित्रण किया है, परन्तु क्रूस पर चढ़ाए जाने वाले व्यक्ति को आमतौर पर नग्न किया जाता था। यह परम अपमान को दर्शाता है।
रोमन लोग सूली पर चढ़ाए गए व्यक्ति के पैर तोड़ देते थे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह मर चुका है और यदि वह नहीं मरता तो जल्दी से मर जाता। यीशु के पैर तोड़ने आए सैनिकों ने देखा कि वह पहले ही मर चुका था। यीशु के बारे में पुराने नियम की , की उसकी कोई भी हड्डी नहीं तोड़ी जाएगी, यहां पूरी हुई। हमें गलती से यह विश्वास नहीं करना चाहिए की यह भविष्यवाणी हमारे लिए है। यह केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के लिए है । मुख्य राजमार्ग यीशु के सूली पर चढ़ने की जगह के करीब था। इस रास्ते से गुजरने वाले कई लोगों ने बिना किसी कारण से यीशु का मजाक उड़ाया। इस प्रकार यीशु बहुतों के लिए एक तमाशा बन गया। हम इसे देख सकते हैं कि यीशु को सूली पर चढ़ाने के लिए परमेश्वर ने कई लोगों का इस्तेमाल किया। और यीशु की मृत्यु के बाद हम देखते हैं कि कैसे परमेश्वर ने कई अन्य लोगों का उपयोग किया। यीशु के शरीर को दफनाने के लिए परमेश्वर ने निकुदेमुस और युसूफ नामक आरिमतिया का एक धनी मनुष्य का भी इस्तेमाल किया। यह वे लोग नहीं थे जो यीशु को क्रूस पर ले गए या जिन्होंने उसे क्रूस से नीचे उतारा। यह हमें बताता है कि जिन्होंने हमें सूली पर चढ़ा दिया (जिन्होंने हमें नुकसान पहुंचाया) वह कभी वापस नहीं आएंगे और न हमसे माफी मांगेंगे। यह कभी नहीं होगा, क्योंकि परमेश्वर उनका उपयोग हमें नुकसान और पीड़ा देने के लिए ही करता है। पहले समूह द्वारा सूली पर चढ़ाए जाने के बाद परमेश्वर ने यीशु की सेवा करने के लिए एक और समूह नियुक्त किया। क्रूस पर चढ़ाने और मृत्यु के बाद यीशु को कब्र पर ले जाया गया। यीशु के शरीर को कब्र में रखने के बाद सभी को छोड़ दिया गया । क्या ऐसा समय नहीं आता जब हम भी ऐसे ही भूल जाते हैं? वह कब्र हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें भी अकेलापन और अंधेरे का मौसम अनुभव करना चाहिए। फिर पुनरुत्थान की सुबह आती है। जी हां प्रभु यीशु मृतकों में से जी उठे हैं।
हमने क्रूस पर चढ़ाए जाने के 3 चरणों को देखा : पहला क्रूस पर चढ़ाया जाना, फिर कब्र और पुनरुत्थान। प्रभु यीशु पुनरुत्थान कि नई सामर्थ्य के साथ जीवन में लौट आए। क्या हमारे पास यह शक्ति है? हम इस सामर्थ्य को तभी प्राप्त कर सकते हैं जब हम एक सफल क्रूस पर चढ़ने के माध्यम से जाते हैं। क्या आप का क्रूस पर चढ़ाया जाना सफलतापूर्वक पूर्ण हुआ है? या आप अभी भी उस क्रूस पर लटक रहे हैं? क्या आपको अब भी लगता है कि जिन लोगों ने आप को नुकसान पहुंचाया है वह आपके पास आएंगे और माफी मांगेंगे? मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, वो कभी नहीं लौटेंगे। जिन लोगों ने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया वह वापस नहीं लौटे और ना ही प्रभु उन्हें ढूंढते हुए बाहर गए। यीशु केवल उन लोगों के लिए प्रकट हुए जो उससे प्यार करते थे। अगर हम उस स्थिति में होते तो हम पहले पीलातुस के सामने पेश होते उसके बाद उन लोगों को भी जिन्होंने हमें सताया था। हमें कभी भी बदला नहीं लेना चाहिए। बाइबल कहती है “बदला लेना प्रभु का है।“ सब कुछ हमारे धर्मी परमेश्वर के हाथों में सौंप दो। हमारा क्रूस पर चढ़ाना कभी भी पूरा नहीं होगा यदि हम प्रतिशोध चाहते हैं।
आज याद रखने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि आप एक क्रूस पर चढ़ाए जाने वाली प्रक्रिया को सफलता पूर्वक होने देते हैं तो आपके पास बहुत सी शक्ति और सामर्थ्य उपलब्ध है, परमेश्वर की सेवकाई के कार्य के लिए।
आइए हम अपना क्रूस उठाने और यीशु का अनुसरण करने का निर्णय लें।
परमेश्वर हमें अनुग्रह दे, जीवन भर क्रूस उठाने के लिए ।
अनुवादक : अचला कुमार